जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. प्रभावित परिवारों को प्रशासन लगातार सुरक्षित जगह पर पहुंचा रहा है. इसके अलावा अनहोनी की आशंका को देखते हुए सुरक्षाबलों को अलर्ट कर दिया गया है. इसके अलावा जोशीमठ में चल रहे NTCP समेत तमाम निर्माण कार्यों को तुरंत रोक दिया गया है. अब इस मामले में एनटीपीसी ने अपनी सफाई दी है.
जोशीमठ संकट के चलते एनटीपीसी पॉवर प्रोजेक्ट को फिलहाल सरकार ने रोक दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि एनटीपीसी की बनाई गई सुरंग के चलते जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं हो रही हैं. इस मामले में NTPC ने सफाई दी है. उसने कहा कि एनटीपीसी जोशीमठ शहर के नीचे सुरंग का निर्माण नहीं कर रहा है. इस सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है. मौजूदा समय में कोई भी ब्लास्टिंग का काम नहीं किया जा रहा है. एनटीपीसी पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहती है कि इस सुरंग की वजह से जोशीमठ की जमीन नहीं धंस रही है. जोशीमठ में निर्माण कार्यों पर लगा दी गई है रोक जोशीमठ में भू-धंसाव को घटनाओं के कारण एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल के अंदर का काम रोक दिया गया है. प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. साथ ही जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अगले आदेश तक रोक दिया गया है. पिछले साल अगस्त में विशेषज्ञों ने दी थी चेतावनी विशेषज्ञों ने 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ का दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इस इलाके में सुरक्षा कार्य करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को दूसरी जगह विस्थापित करना होगा. वहीं 1976 में गढ़वाल कमिश्नर मुकेश मिश्रा की अध्यक्षता में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी, जिसमें साफ कहा गया था कि जोशीमठ रेतीली मिट्टी और ग्लेशियर के साथ बहकर आई मिट्टी पर बसा हुआ है. अब इसकी नींव या जड़ को छेड़ा गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसके अलावा रिपोर्ट में खनन या ब्लास्ट पर रोक लगाने और अलकनंदा नदी के किनारे सुरक्षा वॉल बनाने का भी सुझाव दिया गया था लेकिन इस रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया गया था. सरकार ने जोशीमठ संकट की अनदेखी की ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती आजतक से कहा कि राज्य सरकार ने जोशीमठ के संकट की अनदेखी की है. पिछले एक साल से जोशीमठ में दरारें आ रही हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर जोशीमठ में संकट के कारणों की गहन जांच करने का निर्देश देने की मांग की है. आदिगुरु शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में ज्योतिर्मठ की स्थापना की थी. इसे सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मठों में से एक माना जाता है. सीएम ने गठित की कमेटी, 11 करोड़ की राशि जारी सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी शनिवार को जोशीमठ पहुंचकर जमीनी हकीकत जानी थी. उन्होंने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के नेतृत्व में लोगों के राहत और बचाव कार्य के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए चमोली जिले के जिलाधिकारी को 11 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है. इसके अलावा उन्होंने जोशीमठ इलाके के सर्वे कराने के भी निर्देश दिए हैं. चमोली जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने बताया कि जोशीमठ से 11 और परिवारों को रेस्क्यू किया गया है. अब तक 65 ऐसे परिवारों को रेस्क्यू किया जा चुका है. इन सभी को अस्थायी राहत शिविरों में पहुंचाया गया है. यहां अब दरार से प्रभावित घरों की संख्या बढ़कर 603 हो गई है. सीएम ने जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण के बाद आपदा प्रबंधन केंद्र में आलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुन्दरम और आयुक्त गढवाल मंडल सुशील कुमार कल से जोशीमठ में कैंप करेंगे. इसके अलावा जोशीमठ संकट के कारणों की विभिन्न केंद्रीय संस्थानों से अध्ययन व उपचार के लिए रिपोर्ट देने को कहा है. सेना को किया अलर्ट, ISRO से मांगी मदद गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार सिंह ने बताया कि सेना को अलर्ट मोड पर रखा गया है. प्रशासन लगातार सेना के अधिकारियों के साथ संपर्क में है. इसके अलावा एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस सुरक्षा बल को अलर्ट कर लिया गया है. वहीं ISRO से जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें मांगी गई हैं. उससे पिछले चार महीनों की तस्वीरों को लेकर समझा जाएगा कि आखिर हालात ऐसे क्यों बन रहे हैं? इसके अलावा मुख्यमंत्री के निर्देश पर हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस)के निदेशक से जोशीमठ क्षेत्र की सैटलाइट इमेज के साथ अध्ययन कर रिर्पोट देने का अनुरोध किया गया है. इसके अलावा भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान के उप महानिदेशक से कोटी फार्म, जड़ी बूटी संस्थान, उद्यान विभाग की जोशीमठ स्थित भूमि एवं पीपलकोटी की सेमलडाला स्थित भूमि के पुनर्वास के लिए भू-वैज्ञानिक सर्वे करने के लिए कहा है. इसके साथ ही आईआईटी रूड़की के निदेशक, वाडिया इंस्टियूट ऑफ हिमालयन ज्योलाजी के निदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रूड़की के निदेशक, सी.एस.आई.आर. के निदेशक, सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टियूट रूड़की से भी इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई है.
हर परिवार को छह महीने तक मिलेगी मदद सीएम की बैठक के बाद जोशीमठ क्षेत्र के प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने 6 महीने तक प्रभावित परिवारों को किराया देने का ऐलान किया है. अधिकारियों के मुताबिक जिन लोगों के घर खतरे की जद में हैं या रहने योग्य नहीं है, उन्हें अगले 6 महीने तक किराए के मकान में रहने के लिए ₹4000 प्रति परिवार सहायता दी जाएगी. यह सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी.